क्यों मारी जाती हैं अनामिकाएँ? -सुधा सिंह
इस जाते हुए साल के अंतिम दो हफ़्तों में पहली बार स्त्री के मुद्दे पर राष्ट्रीय एकता का प्रदर्शन भारत की जनता ने किया। दिल्ली से लेकर अन्य शहरों और गांवों तक में इसकी गूंज सुनाई पड़ी। मुद्दा 16 दिसंबर की रात दिल्ली की मुनिरका बस स्टॉप से एक प्राइवेट बस में सवार होनेवाली लड़की के साथ बर्बर सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसे और उसके दोस्त को घायल करके नग्न अवस्था में नीचे फेंक देने का है। उस लड़की जिसे हम अनामिका कहेंगे कि मौत हो गई। लेकिन इस घटना के बाद भी जबकि जनता का सैलाब पूरी दिल्ली समेत अन्य शहरों को आंदोलित किए हुए था, ऐसी और इससे मिलती-जुलती कई घटनाएं सामने आईं। इन्हीं धरने-प्रदर्शनों में शामिल हममें से कोई इस तरह के यौन-उत्पीड़न का शिकार हो रही थी और इन्हीं में शामिल हममें से कोई यौन-उत्पीड़न में भागीदार था। क़ानून और संस्थाओं का वही मर्दवादी रवैय्या निकल कर आ रहा था। इन सबके बीच कहीं पुलिस, कहीं परिवार, कहीं समाज, कहीं जाति, कहीं धर्म और अन्य शक्ति के संस्थाओं का वही रूप निकल कर आ रहा था जिसकी तस्दीक सदियों से हमारा पुंसवादी समाज करता आ रहा है। ...