भारत के बाल रंगमंच की महान रंगकर्मी रेखा जैन नहीं रहीं

(प्रसिद्ध रंगकर्मी स्व.रेखा जैनः 18सितम्बर 1923-22 अप्रैल 2010)
            हिन्दी रंगमंच की प्रसिद्ध हस्ती रेखा जैन का कल निधन हो गया। वे 84 साल की थीं। रेखा जैन के निधन से भारत के बाल रंगमंच के एक युग का अंत हो गया है।  रेखाजी का 28सितम्बर 1923 को जन्म हुआ था। रेखा जैन के रंगकर्मी व्यक्तित्व के निर्माण में ‘इप्टा’ की केन्द्रीय भूमिका थी। रेखाजी की 12 साल की आयु में नेमिचंद जैन के साथ शादी हुई। नेमिचंद जैन हिन्दी के बड़े रचनाकार और रंगकर्मी थे। उनकी पुत्री कीर्ति जैन भी रंगमंच से जुड़ी हैं और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में निदेशक रह चुकी हैं। नेमीजी ने रेखा जी को पढ़ाया,लिखाया,नृत्य और रंगकर्म की शिक्षा दिलवायी। वे लंबे समय तक ‘इप्टा’ के केन्द्रीय ग्रुप की सदस्य रहीं। नेमीजी के अलावा शंभु मित्र और शांतिवर्धन से भी उन्होंने रंगकर्म,संगीत आदि की शिक्षा प्राप्त की।
    रेखाजी का जन्म रुढ़िवादी वातावरण में हुआ था। इस रुढ़िवादी वातावरण से निकलकर उन्होंने जगह-जगह नाटक किए और स्वाधीनता संग्राम और प्रगतिशील आंदोलन में हिस्सा लिया। उनका भारत के बाल रंगमंच के साथ 50 साल से गहरा संबंध था।  उन्होंने शंभुमित्र,हबीब तनवीर,वी.वी.कारंत आदि के साथ काम किया था। सन् 1979 में उन्होंने ‘उमंग’ नामक संस्था की स्थापना की। यह संस्था बच्चों के रंगकर्म प्रशिक्षण की आदर्श पाठशाला रही है। इस संस्था में अमीरों ,गरीबों और झोंपड़पट्टियों के बच्चे एक साथ नाटक तैयार करते और खेलते थे। यह संस्था प्रतिवर्ष 2-3 नाटकों का रेखा जैन के निर्देशन में मंचन करती रही है।
    रेखा जैन के द्वारा निर्देशित चर्चित नाटक हैं- खिलौनों का संसार,दिवाली के पटाखे, अनोखे वरदान, कौन बड़ा कौन छोटा,रेल ले चली हमें चूं-चूं, चंड़लिका, बाल्मीकि प्रतिभा,ताश के पत्ते आदि। इसके अलावा उन्हें हिंदी अकादमी, साहित्य कला परिषद,उ.प्र.संगीत नाटक अकादमी,संगीत नाटक अकादमी ,राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय आदि के द्वारा पुरस्कृत किया गया था। उनके नाटकों का दिल्ली,कोलकाता, मुंबई, इलाहाबाद,शुजालपुर आदि में मंचन हुआ है।                       








Comments

M VERMA said…
रेखा जैन का जाना अपूरणीय क्षति है रंगमंच की दुनिया के लिये
श्रद्धांजलि
बाल रंगमंच को गहरा आघात ...रेखा जी रंगमंच की दुनिया में महान योगदान रहा है....श्रद्धांजलि
रेखा जैन जी जैसे महिलाओं से ही महिलाओं का वजूद दिखता था और आप जैसी महिलाओं से दिख रहा है / बहुत ही सार्थक और मेहनत भरी सोच की विवेचना के लिए धन्यवाद /
36solutions said…
रंगमंच के लिए अपूरणीय क्षति.
उन्‍हें श्रद्धांजलि.

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